Principal's Message
अतीत से वर्तमान
मियां साहब सैयद जव्वाद अली शाह समाज में अति प्रतिष्ठित व्यक्ति थे तथा अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए सदैव अधीर रहते थे। अपने जीवनकाल में वह लालायित थे कि अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा देने की व्यवस्था होनी चाहिए। अत: छात्राओं के लिए महाविद्यालय खोले जाने के निमित्त पर्याप्त भूभाग उपलब्ध कराते हुए अपने सुपुत्र सैयद मजहर अली शाहको प्रेरित किया कि वह इस ओर अग्रसर हो। श्री मजहर अली शाह ने 1973 में कुछ प्रभुद्ध लोगों के साथ बैठकर योजना बनाईं और अपने पिता की इच्छानुसार उन्हीं के नाम पर महाविद्यालय स्थापित किए जाने के विचार से एक समिति का गठन किया जिसका नाम सैयद जव्वाद अली शाह इमामबाड़ा मुस्लिम गर्ल्स डिग्री कालेज सोसाइटी रखा। इस समिति ने छात्राओं के लिए महाविद्यालय स्थापित करने का बीड़ा उठाया और जव्वाद अली शाह इमामबाड़ा गर्ल्स महाविद्यालय की ‘ स्थापना 1973 में ही हो गई। महाविद्यालय 1973 से निरन्तर प्रयास में लगा रहा जिसका परिणाम था कि इस महाविद्यालय में केवल अल्पसंख्यक वर्ग की छात्रओं ने प्रवेश प्राप्त करना श्रेयस्कर नहीं माना बल्कि सभी वर्ग के लोगों ने अपनी बालिकाओं को महाविद्यालय में प्रवेश दिलाया । महाविद्यालय में पठन-पाठन का तथा सम्बन्धों का अति उचित वातावरण । अतीत से वर्तमान है | हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाईं सभी वर्ग की छात्राएं महाविद्यालय में अध्ययनरत है। संक्षेप में यदि कहा जाए कि. महाविद्यालय ने राष्ट्रीय चरित्र को अंगीकृत कर लिया है तो अतिश्योक्ति महाविद्यालय में शैक्षिक वातावरण अति प्रभावशाली है तथा छात्राओं और शिक्षकों में अति पारस्परिकता है जो वातावरण को अति रमणीक बना देता है। महाविद्यालय ने एक निष्ठ और शुद्ध परम्परा का निर्माण कर लिया है | शैक्षिक वातावरण से प्रभावित होकर महाविद्यालय की सोसाइटी ने इसे स्नातकोत्तर स्तर पर 1996 में स्थापित कर लिया। महाविद्यालय का परीक्षाफल सदैव से ही अति उत्साहवर्धक रहा है अधिकांशतः परीक्षाफल शत् प्रतिशत ही रहा है
महाविद्यालय की सोसाइटी महाविद्यालय के चतुर्दिक विकास के लिए सतत् प्रयासरत है। जिसके लिए महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति बधाई की पात्र है।